स्नेह और आशीर्वाद के साथ

02 जुलाई 2009

हमारे नाम हैं बहुत सारे

अपने ब्लाग पर आने में आप सभी का सहयोग पहले दिन ही मिलाए बहुत अच्छा लगा। लगभग सभी लोगों को हमारे बुआ-फूफा द्वारा दिया गया नाम ‘कुहुक’ बहुत अच्छा लगा। हमारे नाम की भी अपनी एक अलग कहानी है। घर में हमें क्या कहा जायेगा इस पर सभी की अपनी-अपनी राय हमेशा से रही है। बड़े चाचा तो हमारे जन्म के पहले से ही हमें परी कहने लगे थे। छोटे चाचा बाहर रहते हैं और जब भी फोन से बात करते हैं तो हमें बिट्टू कह कर ही बुलाते हैं। हमारे नाना-नानी के यहाँ हमें सभी लोग पायल कहते हैं।
दादी सोना कहती हैं तो बड़ी चाची कद्दू कह कर बुलातीं हैं। हमारी माँ हमें हमेशा बेटू कहतीं हैं तो पिताजी ने हमारा नाम रिद्धि रखा है पर वे अभी हमें प्यार से बिटोली कहते हैं। उनका कहना है कि वे जल्दी ही हमें रिद्धि नाम से ही बुलायेंगे।
ये तो थीं घर पर पुकारे जाने वाले नामों की कहानी। मजा तो तब आया जब हमारा जन्म प्रमाण-पत्र बनना था। चाचा और हमारे पिता का कहना था कि वही नाम प्रमाण-पत्र में लिखवाया जाये जो बाद में स्कूल में लिखवाया जाना है। अब सभी में चर्चा होती रहती कि क्या नाम रखा जाये। कोई कुछ नाम बताता, कोई कुछ नाम सुझाता पर चाचा या पिताजी को कोई भी नाम पसंद नहीं आता। वे दोनों लोग हमारा कोई अलग सा नाम रखना चाहते थे, बिलकुल अपने नामों की तरह।
कई दिनों की मशक्कत के बाद तय हुआ कि हमारा नाम अक्षयांशी रखा जाये। दादी ने और कई लोगों ने कहा कि नाम कठिन है, बच्चों को लेने में दिक्कत होगी। चाचा ने इसकी काट यह कह कर की कि हमेशा बच्चे ही तो नाम नहीं लेंगे। अक्षयांशी नाम के पीछे का एक कारण हमारा अक्षया तृतीया को जन्म लेना भी रहा है। बस हमारा नाम हो गया अक्षयांशी पर सभी प्यार से अपने-अपने नामों से ही बुलाते हैं।
कोई किसी भी नाम से बुलाये बस प्यार से बुलाये, यही बहुत है।

1 टिप्पणी:

सागर नाहर ने कहा…

काले चश्में में बहुत खूबसूरत लग रही हो.. नजर उतरवा लेना बिटिया।
:)