स्नेह और आशीर्वाद के साथ

09 अक्तूबर 2009

मॉल में पुतले ही पुतले

हमने आपको पिछली पोस्ट मुम्बई से ही की थी, उसके बाद घूमने में इतने व्यस्त रहे कि आपसे बातें करने का मौका ही नहीं मिला। आपको अगली कुछ पोस्टों में हम मुम्बई की अपनी यात्रा के बारे में ही बतायेंगे।
हम लोग पहले दिन तो अपनी थकान ही उतारते रहे। घर में ही बुआ-फूफा से बातें होतीं रहीं। अगले दिन हम पास के बाजार में गये। वहाँ लिटिल वल्र्ड के नाम का एक माल था। अपनी बुआ के साथ हम माल में भी गये। हमें वहाँ बहुत अच्छा लग रहा था।
ऊपर-नीचे होती साढ़ियाँ तो हमने पहली बार देखीं थीं। इतनी सुंदर, सजी हुई बड़ी-बड़ी दुकानें भी हम पहली बार देख रहे थे। एक दुकान पर बच्चे भी थे। हमने सोचा कि चलो इन्हीं से दोस्ती की जाये तो पता लगा कि ये तो कपड़े पहने पुतले लगे हैं।


उसके बाद हमको भूख भी लगने लगी थी। कारण सामने एक रेस्टोरेंट दिख रहा था। सब लोग तो खाने-पीने में मस्त हो गये, हमें तो ज्यादा कुछ खाना-पीना नहीं था सो हम बाहर आ गये। बाहर देखा तो एक सुंदर से अंकल बड़ी सी सीट पर अकेले बैठे हैं। हम भी उनके पास जाकर खड़े हो गये।


लो जी, यहाँ भी गड़बड़ कर दी। ये भी अंकल पुतले। हमने सोचा कि क्या बात है कि यहाँ सब तरफ पुतले ही पुतले क्यों हैं?
जब हम थकने लगे तो हमें हमारे पिताजी के दोस्त सुभाष चाचा ने गोद में लेकर माल में घुमाया।

मुम्बई में हमने अपनी यात्रा के समय बहुत अच्छे-अच्छे माल देखे। बहुत मजा आया।
अगले दिन हम कार से अपने चाचा के पास पुणे गये थे। वहाँ का रास्ता बहुत ही सुंदर, हरा-भरा था। उस कार यात्रा में भी बड़ा मजा आया। उसके बारे में बाद में.....शायद कल।







01 अक्तूबर 2009

हम हैं मुंबई की सैर पर

इन दिनों हम अपनी बुआ के पास मुंबई में हैं. तीन दिन पहले हम यहाँ आये थे. मुंबई के बारे में हम अभी ज्यादा कुछ जानते तो हैं नहीं, न ही कुछ ज्यादा सुन रखा था. बस ये मालूम था कि मुंबई देश की मायानगरी है.
मुंबई आये ट्रेन से और स्टेशन पर लेने आये हमारे बुआ और फूफा. जैसे ही चले मुंबई की असली तस्वीर दिखी. भयंकर जाम लगा था. हम लोगों को बस 100 मीटर की दूरी से मुड़ना था पर उसी एक ज़रा से मोड़ के लिए लगभग आधा घंटा जाम में फंसे रहे. बाद में जैसे तैसे निकले और घर आ गए. अगले दिन हम थकान के मारे सोते रहे. पूरा एक दिन तो हम लोगों का ट्रेन में बीता फिर एक दिन घर में. हम तो बुरी तरह बोर हो गए थे. खीज के मारे रोना भी शुरू कर दिया था.
आज अपनी बुआ के साथ घूमने गए. पास में बने एक मॉल में गए. घर से बाहर निकलने के कारण हमें बहुत अच्छा लग रहा था. मॉल में हम खूब घूमे, खूब मजा किया. बहुत अच्छा लगा. अब हम बहुत खुश हैं.
अभी हम दो-तीन दिन यहाँ रुकेंगे, कल हमारे फूफा जी की छुट्टी है तो कल उनके साथ मुंबई पूरे दिन घूमेंगे. यदि मौका मिला तो यहाँ की और बातें बताएँगे.