रक्षाबंधन का पर्व भाई बहिन के पावन प्रेम का पर्व है। इस बार हमें सानू भाई जी को राखी बाँधने में अच्छा लगा, पिछली बार छोटे होने के कारण हम सही से अपने आप राखी नहीं बाँध पाए थे।
इस बार हमने खुद राखी बाँधी, देखिये
गाँठ बाँधने में मम्मी ने मदद कर दी थी पर टीका हमने लगाया और राखी भी कलाई पर हम ही ने रखी और बाँधी। गाँठ लग जाने के बाद हमने देखा सही से कि गाँठ ठीक बाँधी है मम्मी ने या नहीं।
राखी बाँधने के बाद हमने सानू भाई जी को मिठाई भी खिलाई।
हमसे मिठाई खाने के बाद सानू भाई जी ने हमें भी मिठाई खिलाई।
हमारी छोटी बहिन पलक ने भी सानू भाई जी को राखी बाँधी। ये देखो चाची उसकी मदद कर रही हैं, टीका लगाने में। अरे अभी पलक छोटी है न।
चाची ने उसका हाथ पकड़ के रखी बंधवा दी। देखो पलक खुश भी लग रही है। इस साल तो चाची ने उसकी मदद कर दी पर अगले साल वो हमारे साथ ही मिल कर अपने आप राखी बाँधा करेगी।
इस वर्ष के बाद अब अगले वर्ष का इंतज़ार है।
स्नेह और आशीर्वाद के साथ
24 अगस्त 2010
22 अगस्त 2010
हम और हमारी बहिन के द्वारा घुड़सवारी --- मजेदार है
21 अगस्त 2010
कुछ लिख रहे थे गुपचुप-गुपचुप और देखा तो बन गईं आँखें
आजकल लिखने, पढने का शौक चढ़ा है. कभी न कभी कोई कागज़ पेन लेकर कुछ भी बनाते रहते हैं।
ये पता नहीं क्या बन रहा पर हम तो सबको बताते हैं कि ये आँखें बनीं हैं।
आप भी देखो और बताओ कि क्या आँखें ही बनीं हैं?
क्या लगा आपको?
हम लिखने के साथ साथ पढ़ते भी हैं। सामने रखा बॉक्स भी तो देख लीजिये।
हमारी बनाई आँखें और पास से देख लीजिये।
बाकी कभी बाद में।
नमस्ते
ये पता नहीं क्या बन रहा पर हम तो सबको बताते हैं कि ये आँखें बनीं हैं।
आप भी देखो और बताओ कि क्या आँखें ही बनीं हैं?
क्या लगा आपको?
हम लिखने के साथ साथ पढ़ते भी हैं। सामने रखा बॉक्स भी तो देख लीजिये।
हमारी बनाई आँखें और पास से देख लीजिये।
बाकी कभी बाद में।
नमस्ते
01 अगस्त 2010
अपनी छोटी बहिन का जन्मदिन हमने कल मनाया था
कल यानि कि 31 जुलाई को हमारी छोटी बहिन-जिसके बारे में हम आपको बताते भी रहते हैं-जी हाँ पौच जी, हाँ, उसी पौच जी का कल जन्मदिन था। कल हमारी बहिन पूरे एक वर्ष की हो गई है।
हमने उसको सुबह-सुबह ही कहा था हेप्पी बरडे तू यू
उसकी पहली वर्षगाँठ हमने घर पर ही मिलजुल कर मनाई। सुन्दर सा केक बनवाया गया था, जिसमें एक बहुत सुन्दर सी झोपड़ी बनी हुई थी।
बाबा ने पलक को अपनी गोद में ले लिया और फिर उससे केक कटवाया।
उसको केक काटते देखकर हमें भी अपनी सालगिरह की याद आ गई। हमने भी दादी से केक काटने के लिए कहा तो दादी ने पलक के केक काटने के बाद हमसे भी केक कटवाया।
उसके केक काटने के बाद हमारी दादी, बुआ, मम्मी, पिताजी, चाचा ने और भाईजी, दीदी लोगों ने पलक का टीका कर उसको आशीर्वाद दिया।
आखिर में चाचा और चाची ने भी उसको अपनी गोद में लेकर फोटो खिंचाई।
और आप तो पौच जी को देखो कैसी स्टायल मार रही थी केक कटने के पहले सुन्दर सी ड्रेस में।
हमने उसको सुबह-सुबह ही कहा था हेप्पी बरडे तू यू
उसकी पहली वर्षगाँठ हमने घर पर ही मिलजुल कर मनाई। सुन्दर सा केक बनवाया गया था, जिसमें एक बहुत सुन्दर सी झोपड़ी बनी हुई थी।
बाबा ने पलक को अपनी गोद में ले लिया और फिर उससे केक कटवाया।
उसको केक काटते देखकर हमें भी अपनी सालगिरह की याद आ गई। हमने भी दादी से केक काटने के लिए कहा तो दादी ने पलक के केक काटने के बाद हमसे भी केक कटवाया।
उसके केक काटने के बाद हमारी दादी, बुआ, मम्मी, पिताजी, चाचा ने और भाईजी, दीदी लोगों ने पलक का टीका कर उसको आशीर्वाद दिया।
आखिर में चाचा और चाची ने भी उसको अपनी गोद में लेकर फोटो खिंचाई।
और आप तो पौच जी को देखो कैसी स्टायल मार रही थी केक कटने के पहले सुन्दर सी ड्रेस में।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)