स्नेह और आशीर्वाद के साथ

25 सितंबर 2010

ये कुछ खाया हमने और बना लिया गया वीडियो

हमारे पिताजी उधर खाना खाने के बाद सौंफ जरूर खाते हैं। उन्होंने एक डिब्बे में सौंफ रखकर पलंग पर ही रख दिया है। उनकी देखादेखी हमने भी सौंफ खाना शुरू कर दिया है।

पहली बर जब हमने सौंफ खाई तो हमें बहुत अच्छी लगी। इसके बाद तो हमें जब भी मौका लगता है हम चुपके से सौंफ का डिब्बा उठाकर सौंफ खाना शुरू कर देते हैं।

सौंफ हमें इतनी अच्छी लगती है कि एक-दो बार खाने के बाद मन ही नहीं मानता है। इस कारण से हम कई-कई बार लगातार सौंफ खा डालते हैं।

आज हम सौंफ खाने बैठे तो हमें पता ही नहीं चला कि कब हमारे पिताजी ने हमारा वीडियो बना लिया। हम भी सौंफ खाने में व्यस्त थे कि तभी हमने वीडियो बनता देखा तो चुपचाप डिब्बा बन्द करके रख दिया।

वीडियो आप भी देख लीजिए।



24 सितंबर 2010

हम भी बनाने लगे कहानी --- अक्षयांशी

आप लोगों से लगातार वादा करने के बाद भी हम समय से आपसे मुलाकात नहीं कर पाते हैं। इधर सभी की व्यस्तता होने के कारण हम भी व्यस्त रहे। चलिए जब आये दुरुस्त आये।

इस बीच हमने कहानी कहना भी सीख लिया है। रात को कई बार सोते समय हमारी दादी या फिर हमारी मम्मी हमको कहानी सुनाती रही हैं। उन्हीं की देखादेखी हमने भी कहानी कहना सीख लिया है।

हमने एक दिन अपने पिताजी को बताया कि सुबह छत पर बन्दर का बेबी आया और हमें देखकर कहने लगा कि भागो-भागो परी आ रही है।

इस पर पिताजी ने आगे पूछा कि फिर क्या हुआ?

हमने आगे बताया कि बन्दर का बेबी भाग कर अपनी मम्मी के पास चला गया और बोला बचाओ-बचाओ परी आ रही है।

आपको बता दें कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। यह तो आप सभी को मालूम ही है कि हमें घर में कोई अकेला नहीं छोड़ता है। ऐसे में घर की छत पर अकेले छोड़ना तो असम्भव ही है। हमने एक दिन बन्दर को देखा था बस उसी के हिसाब से यह छोटी सी कहानी बना दी।

इस कहानी पर हमारे घर में सभी बहुत हँसे और बोले कि जैसा पिता वैसी बिटिया। हमारे पिताजी भी कुछ न कुछ लिखते ही रहते हैं।

चलिए आपको बताते चलें कि कल हमने उनको हिस्सों में एक छोटी सी कहानी सुनाई। उन्होंने अपने मोबाइल से इसका वीडियो भी बनाया। आप भी देखिये, पता नहीं कैसा लग रहा है?

यह कहानी बाद में सुनायेंगे।


09 सितंबर 2010

शेर और जेब्रा के साथ खेल --- बिना डरे

हमारे लिए एक बहुत छोटा सा किन्तु सुन्दर सा शेर लाया गया। शेर के साथ जेब्रा भी था। आपको आश्चर्य लग रहा होगा? पर डरिये नहीं क्योंकि शेर और जेब्रा असली नहीं थे।


अभी एक दिन हम पिताजी के साथ बाजार घूमने निकले तो बाजार में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कुछ अंकल लोग रंगीन से खिलौने बेच रहे थे। हमने भी लेने को कहा।

उस
समय सामान ज्यादा था तो पिताजी ने कुछ भी नहीं लिया और न ही उन अंकल के पास गाड़ी रोकी। हाँ अगले दिन शाम को हमारे लिए शेर और जेब्रा आ गये।

इन
दोनों जानवरों के साथ एक हैलीकॉप्टर भी आया।

अब
शेर तो आपको दिख रहा है किन्तु बेचारा जेब्रा तो दूसरे दिन ही फट गया। अब फटे जेब्रा की फोटो आपको दिखाते तो आपको भी बुरा लगता। अरे हमें ही बहुत बुरा लग रहा था।


हाँ, याद आया, हैलीकॉप्टर तो धागे से बाँधकर कमरे में लटका रखा है। जब पंखे की हवा चलती है तो गोल-गोल घूमता है। बड़ा मजा आता है।