नमस्ते, आप लोगों से इस दौरान बहुत ही कम मुलाकात हो सकी। इसका एक तो कारण ये रहा कि हम आने-जाने में व्यस्त रहे साथ ही हमसे मिलने भी बहुत से लोग आते रहे।
जैसा कि आपको बताया ही था कि हम नवम्बर में अपनी बुआ के पास कानपुर चले गये थे। उनका एक छोटा सा आपरेशन हुआ था। हम अपनी मम्मी के साथ उन्हीं के पास बहुत दिन तक रुके।
हमारेबुआ-फूफा ----------------------
वहाँ से हम लौटकर आये दिसम्बर के शुरू में। उस समय हमारे छोटे वाले बाबा, जिन्हें हम मूँछों वाले बाबा भी कहते हैं, आये हुए थे। साथ में दादी भी आईं थीं। उनके साथ दो दिन गुजारे।
उससे पहले मौसी भी आईं हुईं थीं। मौसी के साथ भी दो-तीन दिन गुजर गये। हालांकि मौसी तो हमारे कानपुर जाने के पहले आईं थीं।
हमारीमौसी -------------------
जबसे हम कानपुर से लौटे हैं तब से कोई न कोई और दूसरे काम भी पड़ते रहे। इधर हमारे पिताजी और हमारी मम्मा भी कुछ ज्यादा व्यस्त रहे। इस कारण भी आपसे मिलना नहीं हो सका।
आज सोचा कि इस वर्ष में अब दो दिन ही बचे हैं, आप लोगों का आशीर्वाद ले लें पता नहीं एक जनवरी को इंटरनेट की व्यस्तता, मिलने वालों के आने-जाने के कारण आप लोगों से मुलाकात न कर पाये।
वैसे हम प्रयास करेंगे कि हम आप सभी से एक तारीख को मिलें, उसी दिन हम अपनी छोटी बहिन से भी आपको मिलवायेंगे।
हमें हमारे पड़ोस में रहने वाली रंगोली दीदी ने एक कविता याद करवाई थी। इस कविता को हम सभी को सुनाते भी हैं। एक दिन हमने अपने पिताजी को भी यह कविता सुनाई तो उन्होंने उसका वीडियो बना लिया। हमने आज उस वीडियो को देखा, देख कर बहुत मजा आया। आप भी देखिए, मजा आये तो बताइयेगा जरूर। से...से...से, हम छोटे हैं, मम्मी मारती है, हम रोते हैं, पापा आते हैं, बिस्किट लाते हैं, हम खाते हैं, मम्मी को चिढ़ाते हैं।