स्नेह और आशीर्वाद के साथ

26 अप्रैल 2011

चाचा की शादी और मंडपाच्छादन कार्यक्रम में हम

जैसा कि आपको पहले हमने बताया था कि हमारे छोटे चाचा जी की शादी होने वाली है। कल दिनांक-25 अप्रैल 2011 को हमारे छोटे बाबा जी के घर पर इसी वैवाहिक कार्यक्रम के सम्बन्ध में मण्डप का कार्यक्रम होना था।


हम सभी लोग बाबा जी के घर गये, हमारे बाबा जी हमारे घर के पास ही रहते हैं। हमारे जन्म लेने के बाद यह दूसरी शादी है, घर में। इससे पहले हमारी बुआ की शादी हुई थी पर उस समय हम बहुत छोटे थे। उनकी शादी की बहुत अच्छे से याद भी नहीं है हमें।

अपने
चाचा की शादी में हमें बहुत ही मजा आ रहा है। कल का मण्डप का कार्यक्रम देखकर तो और भी अच्छा लगा। मण्डप लगाने में पंडित जी ने बताया कि पाँच लोगों की जरूरत होती है, तो हमारे पिताजी और चाचा, भैया लोगों ने मिलकर मण्डप को लगाया।




इसके बाद पंडित जी ने सभी की कलाई पर धागा भी बाँधा। हमने भी सभी की देखा-देखी अपनी कलाई पर भी वो धागा बँधवाया।


हम तो अभी भी उस धागे को बाँधे हैं। बाद में दादी ने हमें बताया कि उस धागे को कलावा कहा जाता है।


अब तो शादी का इंतजार है, सभी लोग आ रहे हैं। सच में बड़ा मजा आयेगा।

21 अप्रैल 2011

ख़ुशी में मगन हैं हम -- चाचा की शादी जो है

आजकल हमारे घर में शादी का माहौल बना हुआ है। हमारे छोटे चाचा की शादी इसी माह की 30 तारीख को है। हालांकि सभी कार्यक्रम हमारे छोटे बाबा के घर से ही होने हैं पर हमारे घर में भी कुछ कार्यक्रम होने से घर में रौनक बनी रहती है।

हम और हमारी छोटी बहिन जो अभी लौट आई है, मिलकर खूब धमाचौकड़ी करते हैं। कभी-कभी पड़ोस की महिलायें गाने-बजाने के लिए भी घर पर इकट्ठा हो जाती हैं। वे सभी मिलकर ढोलक बजाती हैं, लोकगीत गाती हैं तो हमें बहुत मजा आता है। कभी-कभी हम भी उनके साथ गाने लगते हैं।

आज भी छोटे-मोटे कुछ कार्यक्रम थे, हमें समझ में तो कुछ ज्यादा नहीं आता है बस अपने मन से जो आता है करने लगते हैं।

कुछ फोटो ली गईं थीं पर कैमरा अभी कहीं और है तो फोटो बाद में। अभी तो वैसे भी हम चाचा की शादी की खुशी में झूम रहे हैं।

06 अप्रैल 2011

हम हैं द ग्रेट खली से भी ग्रेट

इन दिनों हमारा किसी काम में मन नहीं लगता है। इसका कारण है कि हमारी छोटी बहिन हमारे पास नहीं है। हमारे चाचा अब लखनउ में जाकर रहने लगे हैं तो वो भी उन्हीं के साथ चली गई है।

यह
तो हमें खराब लगा ही था उस पर एक बुरी बात ये हुई कि दादी भी उन्हीं के साथ चली गईं। चाचा-चाची वहां अभी नये-नये पहुंचे हैं इस कारण से दादी उनके साथ चली गईं हैं।

घर
में इसी से हमें कई बार बहुत बुरा लगता था। तो हमारा मन बहलाने के लिए हमारे पिताजी हमें बाजार घुमाने ले जाते थे। अभी भी ले जाते हैं।



कल
वे जब हमें बाजार ले गये तो उन्होंने हमें हवाई जहाज खरीद कर दिया। हवाई जहाज हमें बहुत अच्छा लग रहा था। हमारे एक बार कहने पर पिताजी ने उसे लाकर दे दिया।



आप देखो कैसे हमने एक हाथ से हवाई जहाज को उठा रखा है। क्या द ग्रेट खली भी एक हाथ से हवाई जहाज को उठा सकते हैं? नहीं न, तो देखो हम हैं द ग्रेट खली से भी ग्रेट।
हुए कि नहीं?