स्नेह और आशीर्वाद के साथ

06 अप्रैल 2011

हम हैं द ग्रेट खली से भी ग्रेट

इन दिनों हमारा किसी काम में मन नहीं लगता है। इसका कारण है कि हमारी छोटी बहिन हमारे पास नहीं है। हमारे चाचा अब लखनउ में जाकर रहने लगे हैं तो वो भी उन्हीं के साथ चली गई है।

यह
तो हमें खराब लगा ही था उस पर एक बुरी बात ये हुई कि दादी भी उन्हीं के साथ चली गईं। चाचा-चाची वहां अभी नये-नये पहुंचे हैं इस कारण से दादी उनके साथ चली गईं हैं।

घर
में इसी से हमें कई बार बहुत बुरा लगता था। तो हमारा मन बहलाने के लिए हमारे पिताजी हमें बाजार घुमाने ले जाते थे। अभी भी ले जाते हैं।



कल
वे जब हमें बाजार ले गये तो उन्होंने हमें हवाई जहाज खरीद कर दिया। हवाई जहाज हमें बहुत अच्छा लग रहा था। हमारे एक बार कहने पर पिताजी ने उसे लाकर दे दिया।



आप देखो कैसे हमने एक हाथ से हवाई जहाज को उठा रखा है। क्या द ग्रेट खली भी एक हाथ से हवाई जहाज को उठा सकते हैं? नहीं न, तो देखो हम हैं द ग्रेट खली से भी ग्रेट।
हुए कि नहीं?