स्नेह और आशीर्वाद के साथ

07 नवंबर 2011

आज हमने की अपने पैतृक गाँव की सैर..देखा अपना मकान

आज बहुत ही अच्छी बात हुई...बहुत ही अच्छी। अच्छी इसलिए कि आज हमें अपने पैतृक गांव जाने का मौका मिला। सुबह-सुबह हमारे छोटे बाबा और पिताजी का गांव जाने का कार्यक्रम बना...यह भी पता चला कि साथ में हमारी दादी और छोटी दादी भी जा रही हैं।

सभी को कार से जाना था..सब मम्मी ने हमें जगाया और झट से तैयार कर दिया। हम भी फटाफट घूमने के नाम पर तैयार हो गये। पहले तो हमें मालूम ही नहीं था कि हमें जाना कहां है। हमें तो बस घूमने के नाम से ही मजा आ रहा था।

जब हम अपने गांव पहुंचे तो हमें वहां के आसपास खूब सारी गायें, बकरियां घूमते दिखे..खूब बड़े-बड़े पेड़ देखकर तो हमें बहुत अच्छा लग रहा था। हमने दादी से कहा कि यहां कितना अच्छा लग रहा है।


(गाँव वाली दादी के घर पर)


गांव में हम सभी लोग वहां रह रही हमारी एक और दादी के घर गये। उसके बाद हम लोग अपने भी घर गये। अब वहां कोई रहता नहीं है इस कारण से सारा घर टूट-फूट भरा हो गया है। खूब तो पेड़-पौधे खड़े हो गये हैं वहां, आसपास की दीवार भी गिर गई है। इसके बाद भी हमें मजा आ रहा था अपने बाबा और परबाबा लोगों का मकान देखकर।


(यही है पैतृक मकान..कभी यहाँ चमन बरसता था)


हमारी दादी के कहने पर हमने अपने पैतृक मकान की देहरी पर माथा भी टेका। हमारे आने की खबर सुनकर वहां के आसपास के घरों में रहने वाले लोग भी हमसे मिलने आ गये। हमारे मकान के पीछे के हिस्से में एक भैंस का बहुत ही छोटा सा बच्चा भी बंधा था। हमें उसको देखकर भी बहुत मजा आया। हमारा मन तो उसके साथ खेलने को कर रहा था पर हमें किसी ने भी उसके साथ नहीं खेलने दिया।


(गोले में कैद है भैस का छोटा बच्चा)


खूब देर रहने के बाद हम सभी लोग वापस अपने घर उरई को लौट आये। लौटते में हम अपने गांव की माता के मन्दिर में भी गये। वहां भी खूब सारे पेड़ लगे थे, वहां भी इस कारण से बहुत ही अच्छा लग रहा था।


(गाँव में माता का मंदिर)


आपको एक खास बात बतायें कि हम अपनी इस पीढ़ी के बच्चों में सबसे पहले बच्चे हैं जो गांव जाकर अपने मकान को देखकर आये हैं। और तो और अभी हमारी मम्मी और हमारी दो-दो चाचियां भी गांव नहीं जा पाई हैं।

आखिर कुछ मामलों में तो हम अपनी मम्मी और चाचियों से तो फर्स्ट हो ही गये हैं।


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दिनांक - ७ नवम्बर २०११...ग्राम - कुरसेंड़ा, जिला - जालौन

1 टिप्पणी:

Alpana Verma ने कहा…

अरे वाह!आप तो बहुत ही भाग्यशाली हैं जो मम्मी और चाची जी से पहले ही अपना पैतृक गाँव देख आईं!