जैसा कि आपको पहले हमने बताया था कि हमारे छोटे चाचा जी की शादी होने वाली है। कल दिनांक-25 अप्रैल 2011 को हमारे छोटे बाबा जी के घर पर इसी वैवाहिक कार्यक्रम के सम्बन्ध में मण्डप का कार्यक्रम होना था।

हम सभी लोग बाबा जी के घर गये, हमारे बाबा जी हमारे घर के पास ही रहते हैं। हमारे जन्म लेने के बाद यह दूसरी शादी है, घर में। इससे पहले हमारी बुआ की शादी हुई थी पर उस समय हम बहुत छोटे थे। उनकी शादी की बहुत अच्छे से याद भी नहीं है हमें।
अपने चाचा की शादी में हमें बहुत ही मजा आ रहा है। कल का मण्डप का कार्यक्रम देखकर तो और भी अच्छा लगा। मण्डप लगाने में पंडित जी ने बताया कि पाँच लोगों की जरूरत होती है, तो हमारे पिताजी और चाचा, भैया लोगों ने मिलकर मण्डप को लगाया।


इसके बाद पंडित जी ने सभी की कलाई पर धागा भी बाँधा। हमने भी सभी की देखा-देखी अपनी कलाई पर भी वो धागा बँधवाया।

हम तो अभी भी उस धागे को बाँधे हैं। बाद में दादी ने हमें बताया कि उस धागे को कलावा कहा जाता है।

अब तो शादी का इंतजार है, सभी लोग आ रहे हैं। सच में बड़ा मजा आयेगा।
हम सभी लोग बाबा जी के घर गये, हमारे बाबा जी हमारे घर के पास ही रहते हैं। हमारे जन्म लेने के बाद यह दूसरी शादी है, घर में। इससे पहले हमारी बुआ की शादी हुई थी पर उस समय हम बहुत छोटे थे। उनकी शादी की बहुत अच्छे से याद भी नहीं है हमें।
अपने चाचा की शादी में हमें बहुत ही मजा आ रहा है। कल का मण्डप का कार्यक्रम देखकर तो और भी अच्छा लगा। मण्डप लगाने में पंडित जी ने बताया कि पाँच लोगों की जरूरत होती है, तो हमारे पिताजी और चाचा, भैया लोगों ने मिलकर मण्डप को लगाया।
इसके बाद पंडित जी ने सभी की कलाई पर धागा भी बाँधा। हमने भी सभी की देखा-देखी अपनी कलाई पर भी वो धागा बँधवाया।
हम तो अभी भी उस धागे को बाँधे हैं। बाद में दादी ने हमें बताया कि उस धागे को कलावा कहा जाता है।
अब तो शादी का इंतजार है, सभी लोग आ रहे हैं। सच में बड़ा मजा आयेगा।