हमारे पड़ोस में रहने वाले शिवा भैया अभी एक दिन कछुआ लेकर आये। हमने तो पहली बार इसे देखा था। हमें बहुत अच्छा लगा इसे देखकर।
शिवा भैया ने कछुआ को पानी से बाहर निकाल कर जमीन पर रखा तो यह धीमे-धीमे चलने लगा। हमें उसे देखकर बहुत खुशी हो रही थी। हमें तो यह एकदम अपने खिलौनों जैसा लगा।
हमने उसे चलते देखा और उसे अपने हाथों में उठा लिया। हमने जब उसे हाथ में लिया तो हमें बिलकुल भी डर नहीं लगा। हमने उस दिन उस कछुआ के साथ खूब खेल खेले।
सच्ची हमें पहली बार भी उसे देखने के बाद, उसे अपने हाथ में लेने के बाद भी बिलकुल डर नहीं लगा।
शिवा भैया ने कछुआ को पानी से बाहर निकाल कर जमीन पर रखा तो यह धीमे-धीमे चलने लगा। हमें उसे देखकर बहुत खुशी हो रही थी। हमें तो यह एकदम अपने खिलौनों जैसा लगा।
हमने उसे चलते देखा और उसे अपने हाथों में उठा लिया। हमने जब उसे हाथ में लिया तो हमें बिलकुल भी डर नहीं लगा। हमने उस दिन उस कछुआ के साथ खूब खेल खेले।
सच्ची हमें पहली बार भी उसे देखने के बाद, उसे अपने हाथ में लेने के बाद भी बिलकुल डर नहीं लगा।
3 टिप्पणियां:
बहुत अच्छे लग रहे हो आप अक्षयंशी .गुड
अरे वाह अक्षयांशी! आप तो बहुत बहादुर हो, मुझे तो आपके हाथ में इसे देखकर भी डर लग रहा है....
वाह, यह कछुआ तो तुरंत ही दोस्त बन गया.
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'पाखी की दुनिया' में भी घूमने आइयेगा.
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