नमस्कार आप सभी को,
आज बहुत दिनों के बाद आप सभी से मिलना हो रहा है। इधर घर में सभी की भागदौड़ बनी रही तो हमारे कामों को आपके सामने कोई भी नहीं ला पाया, न हमारे पिताजी और न ही हमारे चाचा जी।
आज हुआ क्या कि हम अपने घर के सामने छोटी बुआ जी के घर पर खेल रहे थे। वहां रंगोली दीदी कुछ पेंट कर रही थी, रंगोली दीदी बहुत ही अच्छी पेंटिंग करती है। उनको पेंटिंग करते देखकर हमें भी कुछ न कुछ बनाने का मन करता है। हम पहले भी पेन से,
रंगीन पेंसिल के द्वारा गोले-रेखायें खींच कर कुछ न कुछ बना चुके हैं। खैर...
आज रंगोली दीदी को पेंटिंग करते देख हमें भी मन किया बनाने का। बस बुआ ने, दीदी ने हमारी मदद की और हमने भी पेंटिंग करनी शुरू कर दी। बीच-बीच में बुआ जी ने, दीदी लोगों ने हमारी मदद भी की और हमने उनकी मदद से अपनी पहली अच्छी सी पेंटिंग बना डाली।
घर में जिसने भी देखा उसको बहुत अच्छी लगी। सभी ने कहा कि अपने पिताजी की तरह से पेंटिंग करती है। आप लोगों को शायद पता न हो कि हमारे पिताजी भी बहुत अच्छी पेंटिंग करते हैं, रेखाचित्र भी बहुत अच्छे बनाते हैं। चलिये, उनके चित्र बाद में दखियेगा..अभी आप हमारी चित्रकारी देखिये।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें