आज स्कूल बिना किताबों के, बिना कापियों के,
बिना पेन्सिल-रबर आदि के जाना पड़ा. कल समझ नहीं आया था फिर मैडम जी ने बताया कि १४
तारिख को बाल दिवस है, हमारे पहले प्रधानमंत्री नेहरु जी का जन्मदिन, तब कुछ-कुछ
समझ आया. जब घर आकर पूछा तो और अच्छे से मालूम चल गया.
हम अपनी सहेलियों के साथ |
इसके अलावा एक बात और अच्छी ये हुई कि आज स्कूल
की ड्रेस में नहीं जाना पड़ा, सो हमने अपनी मनपसंद ड्रेस ‘परी वाली’ पहनी. स्कूल
में भी बहुत मजा आया. आज कोई पढ़ाई नहीं हुई, बस खेल ही खेल. और खेलने के बाद सभी
बच्चों के लिए बहुत बढ़िया नाश्ता भी था.
हमारी मैडम जी और सर जी |
आज खूब मजा आया, ऐसा लगा कि रोज ही बाल दिवस
मनाया जाना चाहिए. घर में भी खेल.. स्कूल में भी खेल... बस खेलते ही रहो... खूब
धमाचौकड़ी.
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