स्नेह और आशीर्वाद के साथ

29 अप्रैल 2018

पेन्सिल में छिपी है प्रकृति

 


ये पेन्सिल देख रहे हैं आप, ये हमारी मौसी लाईं थीं. अब आप कहेंगे कि ऐसा क्या है इन पेन्सिल में कि हमने आपको दिखाया. असल में ये साधारण सी दिखने वाली पेन्सिल साधारण ही नहीं हैं. इनमेंa देखिये, सबसे अंत में हरे रंग का एक हिस्सा दिख रहा है. जी हाँ, यही हिस्सा बहुत महत्त्वपूर्ण है. 

असल में इन पेंसिलों में इसी हरे रंग में कुछ बीज रखे गए हैं. हाहाहा... हैरान हो गए न आप सब! हम भी हुए थे, जब मौसी ने इस बारे में बताया था. इन पेंसिलों को उपयोग करिए, खूब लिखिए और जब ये बहुत छोटी रह जाएँ मतलब इतनी छोटी कि इनसे लिखा न जा सके तो इसी हरे भाग को जमीन में मिट्टी में या फिर किसी गमले में मिट्टी में तिरछा करके लगा दिया जाए. 

अब आप लोग हम पर हँस रहे होंगे कि कहीं पेन्सिल भी जमीन में या फिर गमले में लगाये जाने वाली चीज है. जी हाँ, यही असल बात है. इस बचे हुए हिस्से को जब जमीन में या फिर गमले में लगा दिया जायेगा और उसमें दो-तीन दिन पानी दिया जायेगा तो ये हरा भाग गल जाएगा. इस हरे हिस्से के गलने के बाद उसमें सुरक्षित रखे गए बीज मिट्टी में मिल जायेंगे. यही बीज कुछ दिन में अंकुरित हो जायेंगे. 

अब आपको सब समझ आ गया होगा. जब ये बीज अंकुरित हो जायेंगे तो पौधे का रूप धारण करेंगे. इससे एक लाभ तो ये होगा कि हमें किसी विशेष पौधे से परिचय मिल जायेगा. अभी हमने आपको जो चित्र दिखाया है उसमें सूरजमुखी के और टमाटर के बीज सुरक्षित रखे हैं. पेंसिलों पर लिखा भी है कि कौन से बीज उसमें रखे हुए हैं. 

हमने तो लिखना शुरू कर दिया है. जल्दी से पेन्सिल ख़तम हो और हम अपने गमले में कोई पेन्सिल लगाकर उससे पौधा बनता देखें. आप लोग भी ऐसी पेंसिलों को अपने बच्चों को लाकर दीजिये. यदि बाजार में न मिले तो पेन्सिल न सही किसी न किसी पौधे के बीज लगाइए, कोई न कोई पौधा लगाइए. 

आइये, इसी बहाने हम सब अपना पर्यावरण सुरक्षित करें. 

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