स्नेह और आशीर्वाद के साथ

25 जुलाई 2010

फोटो देख लीजिये -- हमने भी सीखा कैमरा चलाना -- फोटो खींचना

आज हमने कैमरा पा लिया और पिताजी की अनुमति से कई फोटो भी खींचीं। हम घर में अपने सभी बड़ों को फोटो खींचते देखते थे तो हमारी भी बहुत इच्छा होती थी फोटो खींचने की। आज मौका मिल ही गया।

ऐसा हमने चोरी से नहीं किया। पिताजी के सामने किया, उनकी अनुमति से।

आप देखिये और बताइये कि कैसी हैं फोटो? मोबाईल से तो बहुत बार फोटो खींचीं पर कैमरे से पहली बार खींच रहे हैं..........पता नहीं कैसी होंगी।




फोटो नंबर एक
ये तो हमारे पिताजी के पढने की मेज है। पता नहीं कितना ढेर सारा सामान रखते हैं इस पर। आप भी देख लो।
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फोटो नंबर दो
इनको तो आप पहचान ही रहे हैं....ये तो कुर्सियां हैं। खींचना तो पूरी कुर्सी का था पर जितनी आई है उसमें बैठा ज सकता है...
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फोटो नंबर तीन
ये तो हमें ही नहीं पता कि खींचना क्या था और खिंच क्या गया। वैसे कुर्सी का पैर और बोतल साफ़ दिख रही है। कहा जाए तो स्टायलिश फोटो है ये.........
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फोटो नंबर चार
ये कुछ ठीक आई है। कमरे में टंगे कलेंडर के बेबी की फोटो लेनी थी, आ गई पर थोड़ी सी टेढ़ी है....पर ठीक है। है न?
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फोटो नंबर पांच
हमारी बहिन पौच जी और दादी.....ये सही आई। पता कैसे इसमें हमारा हाथ पिताजी ने पकड़ लिया था फिर भी दादी कट गईं है, फोटो में।
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फोटो नंबर छः
पिताजी की खींचना थी कम्प्यूटर सहित पर न तो कम्प्यूटर सही से आया और न ही पिताजी की फोटो सही आई। यहाँ सब गड़बड़ हो गई।

अब दोवारा जब सही फोटो खींचेंगे तो आपको फिर दिखायेंगे।

17 जुलाई 2010

छोटे चाचा को जन्मदिन की शुभकामनाएं


कल
सोलह जुलाई को हमारे छोटे चाचा का जन्मदिन था। चाचा तो बाहर सर्विस करते हैं और उनको छुट्टी मिलने के कारण वे इस बार घर नहीं सके।

(ये है चाचा की स्टाइल)

हम लोगों ने उन्हें सुबह-सुबह ही फोन से बधाई दे दी थी। रात को घर में बड़े चाचा ने मिठाई लाकर पूजा कर दी और भगवान को प्रसाद चढ़ा दिया।

चाचा
पिछली बार घर पर थे और हम सभी ने जमकर मजा किया था। चाचा घर में सभी से छोटे हैं इस कारण सभी के प्यारे हैं। इस बार उनके घर पर न आने से सभी उदास थे, दादी तो विशेष रूप से।

हम
आपको इस बार अपनी नई फोटो के साथ चाचा की बहुत पुरानी फोटो दिखाते हैं।

(चाचा इस समय शायद एक - डेढ़ वर्ष के होंगे)

देखिये फोटो में ही कितने शैतान दिख रहे हैं और वे उतने शैतान हैं भी। हमें बहुत प्यार करते हैं और बहुत डराते भी हैं। यही छोटे चाचा हमें बिट्टू कह कर बुलाते हैं।

(ये तो हमारी स्टाइल है)

आपको एक और बात बतायें कि चाचा को लेखन का शौक नहीं है, इंटरनेट पर ब्लॉग के रूप में तो बिलकुल भी नहीं। इसके बाद भी उन्होंने हमारी फोटो और हमारे बारे में लिखा पढ़ने की खातिर ही अपना ब्लॉग बनाया है। इसी के द्वारा वे हमसे बातचीत भी कर लेते हैं (टिप्पणियों के रूप में)।

चाचाजी
को हमारी ओर से जन्मदिन की शुभकामनाएँ।

15 जुलाई 2010

बातों-बातों में गुजर गया एक वर्ष -- ब्लॉग हुआ एक वर्षीय


इस महीने हमारी छोटी बहिन का जन्मदिन पड़ेगा। 31 जुलाई 2009 को उसका जन्म हुआ था, घर में उसी के मनाये जाने के सम्बन्ध में बातें हो रहीं थीं। इन्हीं चर्चाओं और बातों के बीच पिताजी को याद आया कि हमारे ब्लॉग को भी शुरू हुए एक वर्ष हो चुका है।




हमारे इस ब्लॉग पर पहली पोस्ट लिखी गई थी 30 जून 2009 को। इस दिन हमारे बुआ-फूफा की वैवाहिक वर्षगाँठ पड़ती है। हालांकि इस कारण से भी कोई भूलने की बात नहीं थी हमारे ब्लॉग की पहली सालगिरह की किन्तु इस दिन पिताजी बहुत व्यस्त रहे थे। इस कारण उनकी याद से निकल गया होगा?

हमको लेकर हालांकि ब्लॉग तो पहले ही शुरू कर दिया गया था। पहले-पहल तो हमारी फोटो और वीडियों से सम्बन्धित ब्लॉग ही बनाया गया था। बाद में हमारी बातों और हमारी गतिविधियों को आपके सामने लाने वाला यह ब्लॉग बनाया गया।

इस ब्लॉग का संचालन अभी पूरी तरह से हमारे पिताजी के द्वारा ही हो रहा है। हम अभी बहुत ही छोटे हैं इस कारण से हम अपनी बातों को खुद आपके सामने नहीं रख पाते हैं।



पिताजी की व्यस्तता होने के कारण और उनके अपने ब्लॉग पर समय देने के कारण हमारी पोस्ट की संख्या भी कम है। अब हमारे पिताजी ने हमसे वादा किया है कि वे जल्दी-जल्दी आप लोगों के साथ हमारी बातों को बाँटा करेंगे।

हमेशा की तरह आप लोगों का प्यार और आशीर्वाद मिलता रहेगा, ऎसी आशा है।

14 जुलाई 2010

घोड़े को चलाने में आया बहुत ही मजा

इधर एक दो दिनों से बारिश हो रही है तो मौसम कुछ अच्छा सा हो गया है। अब गर्मी भी कम लग रही है। बाहर खेलने में भी मजा आ रहा है। हम लोग बारिश में नहीं भीगे।

बारिश के कारण दादी कुछ सामान सही करने, कुछ सामान रखने के लिए स्टोर रूम में गईं तो हम भी उनके पीछे हो लिए। वहाँ हमने अपना पुराना घोड़ा देखा। घोड़ा असली वाला नहीं है, वही सी-सॉ करने वाला। बस घोड़ा देखा तो उससे मन हो गया खेलने को।

दादी ने हमारे कहने से उस घोड़े को बाहर निकाला और धोया। घोड़े के नहाने के बाद हम और हमारी छोटी बहिन पौच जी (पलक) उस पर बैठ कर खेलने लगे।

पहले हम आगे बैठे और हमने पिताजी के गाड़ी चलाने की नकल करते हुए अपनी घोड़ानुमा मोटरसाइकिल चलाई। बाद में हम पीछे बैठे और हमारी पौच जी ने गाड़ी चलाई।

घोड़ा अब भी बाहर ही रखा है और हम दोनों बहिनें मौका देखकर उस पर बैठ कर मजा लेती हैं। सचमुच बहुत ही मजा आता है।

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आज पता नहीं क्या हो गया है कोई भी फोटो लोड नहीं हो रही है.....आज की पोस्ट पर आप फोटो नहीं देख पायेंगे....अपने घोड़े के साथ खेलने की फोटो बाद में

07 जुलाई 2010

अब हम फेसबुक, ट्विटर, ऑरकुट पर भी आपको मिलेंगे

नमस्ते,

आप सभी को एक दो अच्छी खबरें देना है। हमारे बारे में हमारे पिताजी और मम्मा की तरफ से ब्लॉग पर काफी कुछ बताया जाता है। इधर अब हम आपसे परिचय का क्षेत्र और बढ़ाते हुए अब आपको ट्विटर पर, फेसबुक पर, ऑरकुट पर भी मिलेंगे।



इन
जगहों पर हमारी छोटी-छोटी बातें भी आपको देखने-सुनने-पढ़ने को मिलती रहेंगी। यह सब भी हमारे मम्मा और पिताजी ही कर रहे हैं। यह तो आपको पता ही है कि अभी हम इतने छोटे हैं कि अपने आप कम्प्यूटर पर कुछ नहीं कर पाते हैं।



वैसे
भी हमें अभी कम्प्यूटर और मोबाइल आदि का इस्तेमाल भी ज्यादा नहीं करने दिया जाता है। हमें किसी से फोन पर बात भी करवाई जाती है तो घर में सभी की कोशिश रहती है कि बेसिक फोन से बात हो।



पिताजी कहते हैं कि बड़े हो जाओ फिर कम्प्यूटर और मोबाइल का प्रयोग करना।

हम
आपको इंटरनेट पर जहाँ भी मिलेंगे अपने बड़ों के सहयोग से ही मिलेंगे। आप सभी का प्यार और आशीर्वाद हमें हम जगह मिलता रहेगा, ऐसी आशा करते हैं।

व्यस्त बहुत रहे थे इन दिनों ---- आप खुद देख लो

आप सभी को नमस्ते,
इधर हमारा बहुत दिनों के बाद आना हुआ। गर्मियों में हम अपने नाना के पास चले गए थे। जब लौटे तो उसके बाद शादियों में व्यस्त हो गए।

इसके अलावा हम अपने कामों को करने में भी व्यस्त रहे। खूब घूमाफिरी करके लौटे तो कपडे भी गंदे पड़े थे। सोचा मम्मा धोएगी ही .... अब हम भी बड़े हो गए तो हमने खुद धोने का फैसला किया।

आप देख लीजिये हम सही कह रहे हैं..... अपने कपडे हमने खुद साफ़ किये हैं....





ये लगाया साबुन और उसके बाद घिसा ब्रश...... चमकदार सफेदी के लिए.....



साबुन लगा है तो पानी से भी धोना पड़ेगा.... चलो पानी में डुबकी लगवा दें.....

हो गया साफ़....... अब चलें सुखाने भी डाल दें रस्सी पर.... अभी और भी कपडे धोने हैं....

हाँ, आपको बताते चलें कि हमने अपने काम निपटा लिए हैं अब जल्दी-जल्दी मिला करेंगे।