आने वाली पाँच तारीख को रक्षाबन्धन है। इसी तारीख को हमारी बुआ की बेटी ‘गौरी’ का जन्मदिन भी है। राखी का त्योहार हम पिछले साल भी मना चुके हैं, तब हम बहुत छोटे थे। इस बार हम बड़े हो गये हैं।
इस बार हमने अपनी राखी अपने सनय दादा को भेज दी है। वे लखनऊ में रहते हैं और अभी उनके यहाँ आने की कोई उम्मीद भी नहीं है। एक बड़ी मजेदार बात हुई, चाचा अभी कुछ दिन पहले लखनऊ में ही थे और तब तक हमने अपनी राखी भेजी नहीं थी। चाचा को ये बात मालूम थी तो उन्होंने एक राखी हमारी ओर से लेकर सनय दादा को दे दी थी। बाद में हमने भी एक राखी भिजवा दी।
(ये हैं हमारे सनय दादा)
दो-तीन दिन बाद जब हमने बुआ से फोन से बात करके राखी मिलने के बारे में पूछा तो बुआ ने बताया कि चाचा राखी लेकर दे गये हैं। अब सनय दादा के पास दो राखी हो गईं थीं तो दादी ने कहा कोई बात नहीं, हो सकता है कि एक बहिन की राखी एडवांस में पहुँच गई हो।
दादी की बात सच भी निकली, हमारी छोटी सी प्यारी सी बहिन भी आ गई। अब यदि सनय दादा यहाँ आते हैं तो हम दोनों मिलकर उन्हें राखी बाँधेंगे।
अभी तो हम बस इन्तजार कर रहे हैं रक्षाबन्धन का।
6 टिप्पणियां:
दादा को बोलो जल्दी से गिफ्ट भेज दे...
प्यार
बहुत रोचक लिखा है।
रक्षाबन्धन की बधाई...एडवांस में।
Nice one....Happy Rakhi in advance.
aa rahe hain ham bhi,
KHUSH RAHO.
kabhi sanay dada ko lekar aana
तुम्हारी शैतानी में साथ देने एक बहिन और आ गयी. बधाई
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