स्नेह और आशीर्वाद के साथ

02 मार्च 2010

होली भी खेली और रोये भी....

सभी को होली की शुभकामनाएँ। यह बात और है कि होली बीत गई पर शुभकामनाएँ तो दी ही जा सकतीं हैं।

(ये देखो हमने भी होली खेली)
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इस बार हमने भी होली खेली पर रोते-रोते। पिछली बार तो हम बहुत छोटे थे तो हमें उस समय की होली का कुछ भी याद नहीं है पर इस बार तो गजब!
हर बार की तरह इस बार भी घर पर हमारे बाबा लोग आये थे, बस दूसरे वाले बाबा नहीं आ सके थे। बाबा, दादी, चाचा, चाची, मम्मा, पिताजी ने मिलकर खूब होली खेली।

(चाचा, सबसे छोटे बाबा, दादी)
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हमने तो सभी को रंगे देखकर रोना शुरू कर दिया। एक तो हमें कई दिन से बुखार भी आ रहा है और उस पर हरे, लाल रंग के चेहरे देखकर तो हमें बड़ा ही डर लगा।

(हमारे दोनों चाचा)
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हमें और हमारी छोटी बहिन को बहुत जरा सा रंग लगाया पर जरा आप हमारे चाचा लोगों की हालत तो देखो।


अगली बार हम और बड़े हो जायेंगे तब हम भी खूब रंग खेलेंगे। हो सकता है कि तब हमें रोना न आये। वैसे इस बार बाद में हमने भी डरते-डरते चाचा को रंग लगा ही दिया।


तब तक अगली होली तक के लिए फिर से एक बार होली की शुभकामनाएँ।


1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

मस्त होली मनाई गई..बहुत बढ़िया!!