पिछले वर्ष अक्टूबर में हम अपनी मम्मा के साथ उनके गाँव गये थे। हमारे मामा के बेटे का मुंडन संस्कार सम्पन्न होना था।

उससे पहले हम कई जगह गये थे किन्तु हमें गाँव जाने का मौका नहीं मिला था।

हमारे मामा के बेटे का नाम विभू है, उसी का मुंडन था। एक-दो दिन रुकना भी हुआ हम सभी का गाँव में। उसी दौरान हमने सभी जगहों को घूम-घूम कर देखा। हमें वहाँ बहुत ही अच्छा लग रहा था।


पानी निकालने के लिए हैंडपम्प, बड़े-बड़े पेड़, बाग-बगीचे देखकर तो बहुत खुशी हो रही थी।

यहाँ के मकान भी हमारे मकानों की तरह से छोटे-छोटे और पक्के नहीं बने थे। यहाँ हम बच्चों के खेलने के लिए खूब जगह थी।

अब आप लोग कहेंगे कि लगभग 6-7 महीने पुरानी बात को हम आज क्यों बताने बैठ गये। आज कुछ पुरानी फोटो देखी जा रही थीं उन्हीं में उस समय की फोटो निकल आईं तो पुरानी बातें याद आ गईं। चलिए एक-दो दिनों में कुछ नई बातें आपको बतायेंगे, अपने ननिहाल की।
उससे पहले हम कई जगह गये थे किन्तु हमें गाँव जाने का मौका नहीं मिला था।
हमारे मामा के बेटे का नाम विभू है, उसी का मुंडन था। एक-दो दिन रुकना भी हुआ हम सभी का गाँव में। उसी दौरान हमने सभी जगहों को घूम-घूम कर देखा। हमें वहाँ बहुत ही अच्छा लग रहा था।
पानी निकालने के लिए हैंडपम्प, बड़े-बड़े पेड़, बाग-बगीचे देखकर तो बहुत खुशी हो रही थी।
यहाँ के मकान भी हमारे मकानों की तरह से छोटे-छोटे और पक्के नहीं बने थे। यहाँ हम बच्चों के खेलने के लिए खूब जगह थी।
अब आप लोग कहेंगे कि लगभग 6-7 महीने पुरानी बात को हम आज क्यों बताने बैठ गये। आज कुछ पुरानी फोटो देखी जा रही थीं उन्हीं में उस समय की फोटो निकल आईं तो पुरानी बातें याद आ गईं। चलिए एक-दो दिनों में कुछ नई बातें आपको बतायेंगे, अपने ननिहाल की।