कल 7 मई को हमारा जन्मदिन था। तीसरी वर्षगाँठ मनाई गई, इस बारे में आपको बताया भी था। कल तो हम व्यस्त रहे और आज सुबह से नाना के साथ इलाहाबाद जाने की तैयारी में लगे रहे, इस कारण समय से आपको अपने जन्मदिन के कार्यक्रम की जानकारी नहीं दे सके।
पिछली बार की तरह इस बार हमारी सालगिरह पर घर के लोग शामिल नहीं हो सके थे। इसका एक कारण अभी हाल ही में सभी लोगों का छोटे चाचा की शादी में शामिल होना रहा है।
इस बार हमारा जन्मदिन घर में ही मनाया गया। हमारे बड़े चाचा केक तथा अन्य सामान ले आये थे तथा चाची-मम्मी ने घर में थोड़ी बहुत सजावट कर ली थी।
हमारे छोटे बाबा-दादी जो घर के पास ही रहते हैं, वे दोनों लोग आये थे और अपने मोहल्ले के सभी दीदी-भैया लोगों को भी बुलाया था। पिताजी ने सुभाष चाचा को भी बुला लिया था। सुभाष चाचा हमारे लिए और हमारी छोटी बहिन पलक के लिए बहुत ही बढ़िया सी चॉकलेट ले कर आये थे।
सभी के आने के बाद हमने केक काटा था। केक काटने के समय हमारे दादी-बाबा, मम्मा-पिताजी भी साथ खड़े थे। केक कटने के बाद दादी ने, बाबा ने हमें केक खिलाया। आपको एक बात बतायें कि हमें हमारी छोटी बहिन पलक ने भी केक खिलाया।
सुभाष चाचा को फोटो खींचने का काम सौंपा गया था। आपने कल जो फोटो हमारे फेसबुक पेज पर देखे थे, वे सुभाष चाचा ने ही खींचे थे।
केक काटने के बाद छोटी बुआ ने सभी को केक खिलवाया।
हमने भी अपने सभी दीदी-भैया लोगों को अपने हाथों से टॉफी बाँटी थी। हमें सभी के साथ मिलकर बहुत ही अच्छा लग रहा था।
इसके बाद हम सभी ने मिलकर कुछ व्यंजन का मजा भी उठाया।
== इस समय हम इलाहाबाद आ गए हैं, आज 8 मई को अपने नाना-नानी, मौसी के साथ आये हैं। साथ में मम्मा भी आई है।
पिछली बार की तरह इस बार हमारी सालगिरह पर घर के लोग शामिल नहीं हो सके थे। इसका एक कारण अभी हाल ही में सभी लोगों का छोटे चाचा की शादी में शामिल होना रहा है।
इस बार हमारा जन्मदिन घर में ही मनाया गया। हमारे बड़े चाचा केक तथा अन्य सामान ले आये थे तथा चाची-मम्मी ने घर में थोड़ी बहुत सजावट कर ली थी।
हमारे छोटे बाबा-दादी जो घर के पास ही रहते हैं, वे दोनों लोग आये थे और अपने मोहल्ले के सभी दीदी-भैया लोगों को भी बुलाया था। पिताजी ने सुभाष चाचा को भी बुला लिया था। सुभाष चाचा हमारे लिए और हमारी छोटी बहिन पलक के लिए बहुत ही बढ़िया सी चॉकलेट ले कर आये थे।
सभी के आने के बाद हमने केक काटा था। केक काटने के समय हमारे दादी-बाबा, मम्मा-पिताजी भी साथ खड़े थे। केक कटने के बाद दादी ने, बाबा ने हमें केक खिलाया। आपको एक बात बतायें कि हमें हमारी छोटी बहिन पलक ने भी केक खिलाया।
सुभाष चाचा को फोटो खींचने का काम सौंपा गया था। आपने कल जो फोटो हमारे फेसबुक पेज पर देखे थे, वे सुभाष चाचा ने ही खींचे थे।
केक काटने के बाद छोटी बुआ ने सभी को केक खिलवाया।
हमने भी अपने सभी दीदी-भैया लोगों को अपने हाथों से टॉफी बाँटी थी। हमें सभी के साथ मिलकर बहुत ही अच्छा लग रहा था।
इसके बाद हम सभी ने मिलकर कुछ व्यंजन का मजा भी उठाया।
== इस समय हम इलाहाबाद आ गए हैं, आज 8 मई को अपने नाना-नानी, मौसी के साथ आये हैं। साथ में मम्मा भी आई है।
1 टिप्पणी:
बहुत बढ़िया!
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