स्नेह और आशीर्वाद के साथ

12 जुलाई 2009

पानी बरसा भीगने में आया मजा


इधर कुछ दिनों से बारिश जैसी स्थिति बन रही है पर पानी नहीं बरस रहा है। गरमी बहुत हो गई है। पाँच-छह दिन पहले हमारे मोहल्ले का ट्रांसफार्मर खराब हो गया था। उसके बदलने में पूरे 36 घंटे लगे। इन्वर्टर भी बन्द हो गया। अब आप सोचो कि क्या हालत हुई होगी।
हमारी तो समझ में नहीं आ रहा था कि ये हो क्या गया है? कभी तो पूरे घर में रोशनी रहती थी और आज? हाँ, एक बात हमारे लिए तो अच्छी हुई कि हमें एक-दो चीजें पहली बार देखने को मिलीं।
एक तो हम रात में छत पर सोये। इससे पहले हम छत पर खेलने जरूर जाते रहे, अभी भी जाते हैं किन्तु रात को सोये पहली बार थे। बड़ा अच्छा लग रहा था। खुला-खुला आसमान, चन्दा मामा भी निकले थे और पूरे जोरों से निकले थे। दादी ने बताया कि शुक्ल पक्ष है और दो दिन बाद पूर्णिमा है इस कारण चन्दा मामा की रोशनी बड़ी शीतल लग रही है।
रात में हम सोये बड़े ही मजे से। सारी रात ठंडी हवा चलती रही। तब पता लगा कि कूलर, पंखे की हवा से कितनी अधिक अच्छी होती है खुली हवा।
दूसरी घटना जो हालांकि एक बार और हो चुकी है पर तब समझ नहीं पाये थे, वो है हमारा मोमबत्ती देखना। मोमबत्ती हमने अपनी सालगिरह पर भी देखी थी। पर वह कुछ खिलौने जैसी थी तो हम समझ ही नहीं सके थे कि ये है क्या। जब अभी बिजली नहीं रही और इन्वर्टर ने भी काम करना बन्द कर दिया तो रोशनी के लिए मोमबत्ती जलानी पड़ी। उसे देख कर हमें बड़ा आश्चर्य हुआ कि एक इतनी छोटी सी चीज इतनी रोशनी कर रही है।
चलिए अब तो लाइट भी आ रही है और पानी भी थोड़ा सा गिर जाता है। घर में सभी लोग कह रहे हैं कि इस तरह का पानी बरसना और फिर धूप का निकलना बीमारियाँ फैलाता है। अब हमें इतनी समझ तो है नहीं कि इस तरह के मौसम से क्या होता है। हमें बारिश में भीगने में मजा आया। नहीं तो हम अपनी सफेद कैप और चश्मा लगा कर ही कहीं आते-जाते थे।
बाहर आना-जाना पड़ता है, बहुत काम रहता है। आपको तो कुछ नहीं......हाँ।

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