स्नेह और आशीर्वाद के साथ

28 अगस्त 2009

सीपीयू की सवारी ही कर डाली

अभी दो तीन दिन पहले हमारा कम्प्यूटर काम नहीं कर रहा था। नहीं ऐसा नहीं है कि बिलकुल काम न कर रहा हो, काम तो कर रहा था पर बहुत ही धीरे धीरे। चाचा ने बताया कि कोई वायरस आ गया है। वैसे हमारे चाचा तो घर पर ही कम्प्यूटर फार्मेट कर लेते हैं पर लगता था कि अबकी कोई बड़ी समस्या थी, इस कारण वे उसे दिखाने दुकान पर ले गये थे।
अब कम्प्यूटर में खराब क्या होना था, सीपीयू। तो चाचा ने उसे कम्प्यूटर से अलग किया और बाहर निकाल कर रख दिया। हम उस समय टहल टहल कर बड़े मजे से बिस्किट खा रहे थे। हमने देखा कि ये अजीब सा डिब्बा यहाँ क्यों रख दिया गया है, कुछ समझ नहीं आया।
बस फिर क्या था, चाचा उस समय अपनी बाइक निकाल रहे थे और हम लगे सीपीयू की सवारी करने। बड़े आराम से सीपीयू पर बैठे और अपने बिस्किट का स्वाद लेने लगे। मम्मी ने देखा तो उन्हें लगा कि कहीं इस कम्प्यूटर के सामान में हम कुछ और गड़बड़ न कर दें। वे लगीं हमें डाँटने, अब हमें पता था कि दादी और चाचा के रहते कोई भी हमें डाँट नहीं सकता है। इस कारण से हम और भी शेर बने रहे।
मम्मी ने एक दो बार तेजी से बोला तो हमने भी उन्हें डरा दिया। अब ये तो नहीं पता कि वे डरीं या नहीं पर थोड़ा सा मुस्करा कर अपने काम में लग गईं। काम में लगने का एक और कारण था कि दादी भी उन्हें देख रहीं थीं और चाचा भी अन्दर आ गये थे। चाचा के आने से हमें बड़ा आराम हुआ। हम मजे से अपना बिस्क्टि खाने लगे। चाचा ने भी कुछ नहीं कहा।
जब हमारा बिस्किट खत्म हो गया तो चाचा ने कहा कि हमें इसे सुधरवाने ले जाना है। अब तुम उतरो और अपने खिलौनों से खेलो। हम चाचा की बात मानकर आराम से उतर गये और अपने एक खिलौने को उठाकर उससे खेलने लगे।
हमें मालूम था कि अब खाली सीपीयू पर बैठने का मजा भी नहीं है क्योंकि बिस्किट तो खत्म हो चुका था। इसके अलावा ये भी मालूम था कि जितनी देर हम सीपीयू को ले जाने में करवायेंगे उतनी देरी से वह सुधर कर आयेगा और उतनी ही देरी से हम आप लोगों से बातें कर पायेंगे।
आप लोगों से जल्दी से जल्दी मिलने के लालच में हम सीपीयू से उतरे और चाचा उसे सही करवाने ले गये।


9 टिप्‍पणियां:

Devendra ने कहा…

tumse dar kar Mummy hi nahin bhagi Computer ka virus bhi BHAG gayaa hoga.

डॉo लखन लाल पाल ने कहा…

wah wah kya baat hai.

Dr. Harshendra Singh Sengar ने कहा…

इतनी अच्छी तरह से तो बैठ कर खा रही हो फिर मम्मी ने क्यों डाँटा? बता दो ऐसे कुछ भी खराब नहीं होता है। ठीक

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

मजेदार बातें करती हैं आप।

अक्षय कटोच *** AKSHAY KATOCH ने कहा…

wah bhatiji bitiya, apne papa jaisii harkaten hain tumhari.
god bless you.

स्पंदन ने कहा…

pahle kitaab, fir pen ab computer.....jaldi jaldi safaltaa paao.
aashirwaad

बेनामी ने कहा…

अच्छा हुआ आप सी पी यु से उतर गयीं... वरना हम तक आपकी बातें कैसे पहुँचती .... :)

Udan Tashtari ने कहा…

सही तो है, कोई पानी थोड़ी गिराया जो डाँट दिआ इतनी प्यारी बच्ची को..

Dr.Aditya Kumar ने कहा…

पापा इतने दिन से सीख रहे हैं और तुम एक क्षण में सवारी कर ली.भई कमल है,.