आजकल हम बड़े शैतान हो गये हैं, ऐसा हमारी दादी, मम्मा, पिताजी कहते हैं। हमें तो नहीं लगता कि हम शैतानी कर रहे हैं। हमें शैतानी करने का मन तब करता है जब हमारे बड़े चाचा हमारे साथ होते हैं, तब उनके कारण हमें कोई भी नहीं डाँट पाता।
अब हम इतने छोटे शैतानी कैसे करेंगे? सब लोग बस ऐसे ही हमें परेशान करते रहते हैं।
हमें अभी बाहर खेलने तो जाने नहीं दिया जाता। हम मोहल्ले में ही आसपास के घरों में खेलते हैं। घर में बराबर बने रहकर हमें भी तो बोरियत होती है। पास की दीदी और भैया हमारे साथ खेलने आ जाते हैं पर अब वे भी ज्यादा समय नहीं दे पाते क्योंकि उन लोगों के स्कूल जो खुल गये हैं।
इसी कारण हम अपने खिलौनों से ही खेलते रहते हैं। अपने सभी खिलौनों को इधर-उधर उठाकर फेंकने का खेल हमें बड़ा पसंद आता है। अब इसी को आप हमारी शैतानी कह सकते हैं। अभी इतना ही, शाम हो गई है, दीदी और भैया आ गये हैं। हम जा रहे हैं अभी बाहर खेलने। रात को या कल फिर आकर मिलेंगे।
अब हम इतने छोटे शैतानी कैसे करेंगे? सब लोग बस ऐसे ही हमें परेशान करते रहते हैं।
हमें अभी बाहर खेलने तो जाने नहीं दिया जाता। हम मोहल्ले में ही आसपास के घरों में खेलते हैं। घर में बराबर बने रहकर हमें भी तो बोरियत होती है। पास की दीदी और भैया हमारे साथ खेलने आ जाते हैं पर अब वे भी ज्यादा समय नहीं दे पाते क्योंकि उन लोगों के स्कूल जो खुल गये हैं।
इसी कारण हम अपने खिलौनों से ही खेलते रहते हैं। अपने सभी खिलौनों को इधर-उधर उठाकर फेंकने का खेल हमें बड़ा पसंद आता है। अब इसी को आप हमारी शैतानी कह सकते हैं। अभी इतना ही, शाम हो गई है, दीदी और भैया आ गये हैं। हम जा रहे हैं अभी बाहर खेलने। रात को या कल फिर आकर मिलेंगे।
2 टिप्पणियां:
खूब खेलो..और खुश रहो!
लव यू अक्षयांशी
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