आज दोपहर के समय घर में कुछ खटपट सी सुनाई दी। हमें समझ नहीं आया कि हो क्या रहा है? कमरे से झाँक कर देखा तो पता चला कि लाबी में कुछ चल रहा है।
सामने कुछ बड़ा सा सफेद रंग का सामान रखा था, हमारे लिए तो वह अजूबा ही था। आश्चर्य में इधर-उधर देखा, किसी ने कुछ नहीं बताया। दादी से आँखों ही आँखों में पूछा तो पता चला कि वह अजीब सी चीज वाश-बेसिन है। दादी ने कहा कि अब बिट्टू इसी में मंजन करेगा, हाथ धोयेगा।
अब हमारे लिए तो नई चीज थी वह, वो भी सामने हाथों की पहुँच तक। फिर क्या था, उसको लगाने वाले अंकल उसको लगाने की तैयारी में लग गये तो हमने भी सामान पर हाथ आजमाना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर तो किसी ने कुछ नहीं कहा जब हमारा काम ज्यादा बढ़ गया तो हमें मना कर दिया गया। अब हमारा दिमाग कोई कम तो चलता नहीं है। काम करने नहीं दिया जा रहा था सोचा कि करें क्या? नींद भी नहीं आ रही थी। इधर-उधर टहले भी पर मन नहीं लगा।
देखा सभी लोग अपने काम में लगे हैं। पिताजी और चाचा वाश-बेसिन लगवाने में अंकल की मदद कर रहे थे। मम्मी, चाची और दादी भी घर के दूसरे कामों में लगीं थीं तो सोचा कि अपना मनपसंद काम ही कर लिया जाये। बस मौका ताड़ा और घुस गये बाथरूम में। अकेले बाथरूम में ही नहीं घुसे, वहाँ जाकर पानी भरे टब में भी जा घुसे। खूब जम कर पानी से खेला-खाली करी।
हमें आसपास न देखकर चाचा समझ गये कि हम बाथरूम में हैं। उन्होंने आकर हमें पानी से खेलने से रोका। तब तक हम अपना काम तो कर ही चुके थे।
वाह! खूब मजा आया। सब अपने काम में और हम अपने काम में मगन रहे।
सामने कुछ बड़ा सा सफेद रंग का सामान रखा था, हमारे लिए तो वह अजूबा ही था। आश्चर्य में इधर-उधर देखा, किसी ने कुछ नहीं बताया। दादी से आँखों ही आँखों में पूछा तो पता चला कि वह अजीब सी चीज वाश-बेसिन है। दादी ने कहा कि अब बिट्टू इसी में मंजन करेगा, हाथ धोयेगा।
अब हमारे लिए तो नई चीज थी वह, वो भी सामने हाथों की पहुँच तक। फिर क्या था, उसको लगाने वाले अंकल उसको लगाने की तैयारी में लग गये तो हमने भी सामान पर हाथ आजमाना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर तो किसी ने कुछ नहीं कहा जब हमारा काम ज्यादा बढ़ गया तो हमें मना कर दिया गया। अब हमारा दिमाग कोई कम तो चलता नहीं है। काम करने नहीं दिया जा रहा था सोचा कि करें क्या? नींद भी नहीं आ रही थी। इधर-उधर टहले भी पर मन नहीं लगा।
देखा सभी लोग अपने काम में लगे हैं। पिताजी और चाचा वाश-बेसिन लगवाने में अंकल की मदद कर रहे थे। मम्मी, चाची और दादी भी घर के दूसरे कामों में लगीं थीं तो सोचा कि अपना मनपसंद काम ही कर लिया जाये। बस मौका ताड़ा और घुस गये बाथरूम में। अकेले बाथरूम में ही नहीं घुसे, वहाँ जाकर पानी भरे टब में भी जा घुसे। खूब जम कर पानी से खेला-खाली करी।
हमें आसपास न देखकर चाचा समझ गये कि हम बाथरूम में हैं। उन्होंने आकर हमें पानी से खेलने से रोका। तब तक हम अपना काम तो कर ही चुके थे।
वाह! खूब मजा आया। सब अपने काम में और हम अपने काम में मगन रहे।
3 टिप्पणियां:
करती हो मनमानी ,बन रही हो शैतान की नानी।
aab aayegaa asali mazaa...
पानी में खेलना बच्चों को बहुत अच्छा लगता है .. मम्मा को कहो बाथरूम का दरवाजा बंद रखें !!
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