आपसे अभी तक बहुत सारी बातें हुईं हैं पर हमने अभी तक आपको अपने बारे में नहीं बताया है। हमें भी आज लगा कि पहले हमें अपने बारे में भी बताना चाहिए था कि हम कौन हैं? क्या करते हैं? कहाँ रहते हैं? वगैरह-वगैरह।
चलिए तो अभी कौन सा देर हो गई है। हम बताते हैं तो आपको सुनना ही पड़ेगा। पहली बात तो ये कि हम अभी बहुत छोटे हैं। करने को कुछ नहीं है सिवाय शैतानी के। घर पर वो ही धमाल मचा रहता है।
परिवार में हमारे मम्मी-पिताजी के अलावा हमारी दादी हैं। हमारे बाबा को तो हमने देखा ही नहीं। इसके अलावा दो चाचा हैं तथा एक चाची हैं।
बाकी अन्य पारिवारिक जनों में हमारे बाबा के तीन छोटे भाई मतलब हमारे तीन बाबा-दादी हैं, जो अलग-अलग शहरों में रहते हैं।
आप लोग घबराइये नहीं, हम पारिवारिक विवरण नहीं दे रहे हैं। हाल-फिलहल इतना ही।
रही बात हमारी तो हम सात मई 2009 को जन्म लेने के बाद आप सब लोगों से बात करने के लिए यहाँ आये हैं। जन्म हमारा हमारे शहर उरई में ही हुआ है। उरई बहुत छोटा सा शहर है जो कानपुर-झाँसी राजमार्ग पर ठीक बीचों-बीच स्थित है। यहाँ के रेलवे स्टेशन के रसगुल्ले बहुत ही प्रसिद्ध हैं। घर पर सभी लोग बताते हैं कि हमारे बाबा के एक दोस्त हैं उनहोंने अपनी युवावस्था में एक शर्त को पूरा करने के लिए पचास से अधिक रसगुल्ले एक बार में खाकर दिखाये थे।
हमारे ब्लाग पर आने की सूचना तो आपको पहले ही हो चुकी है। आज सोचा कि अपने बारे में भी थोड़ा सा बता दें। समय-समय पर हम आपको और भी बहुत कुछ बताते रहेंगे अपने बारे में। तब तक नमस्ते।
स्नेह और आशीर्वाद के साथ
29 जुलाई 2009
थोड़ा सा हमारा भी परिचय
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5 टिप्पणियां:
अरे वाह!! उरई से तो हम एक बार पास हुए थे मगर तब तो आप पैदा ही नहीं हुई थीं. अब जायेंगे तो बता देंगे कि अक्षयांशी ने भेजा है, रसगुल्ले खिलाओ. :)
नटखट परी
देखी तेरी शरारत पानी के साथ ;
भोला सा चेहरा ,शैतानी के साथ.;
नए- नए करतब हमने भी देखे,
पापा की शैली में ,कहानी के साथ.
बाबाजी
रसगुल्ले खाओ और मीठी मीठी बातें बताओ..
प्यार
वाह !! रसगुल्ले खा खाकर तो और मीठी हो जाओंगी ।
Chalo bitiya tumse milkar bahut achcha laga.
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