नमस्कार,
आपसे बहुत दिनों बाद मिलना हो रहा है। इसका कारण ये रहा कि हम आजकल अपनी पढ़ाई पर ध्यान ज्यादा दे रहे हैं। जमाना पढ़ने का ही है। आपको पहले भी बताया था कि हम पढ़ाई करने लगे हैं। अब हमने लिखना भी शुरू कर दिया है।
एक दिन हमने सोचा कि हमारे पिताजी ने तो बहुत कुछ लिख डाला है तो हम भी लिखें। बस हमने भी मौका निकाल कर एक पेन उठा लिया और इधर उधर चलाना शुरू कर दिया। हमारे पिताजी ने इसे देखा तो हमारे लिए एक नई डायरी निकाल दी।
उन्होंने डायरी में हमारा नाम, जन्मतिथि, फोन नम्बर, ब्लाग का यूआरएल भी लिख दिया। हमें तो जल्दी पड़ी थी लिखने की तो हमने जल्दी से डायरी छीन ली।
अब आप देखिए हमने कैसे लिखना शुरू कर दिया। एक पेज फिर दूसरा और फिर तीसरा। इतना लिखने के बाद हमारा डायरी में लिखने से मन भर गया तो हमने अपने हाथ पर लिखना शुरू कर दिया।
बस यहीं हो गई गड़बड़, पिताजी ने हमारे हाथ से पेन छुड़ा लिया और डायरी भी बन्द करके रख दी। हमें साथ में यह भी समझाया कि पेन से कागज पर ही लिखा जाता है, शरीर पर नहीं।
हम भी समझ गये, तभी तो हमें अब डायरी और पेन मिल जाता है लिखने को। अब हम डायरी में ही लिखते हैं, कभी कभी नजर बचा कर अपने हाथ पर लिख ही लेते हैं।
आपसे बहुत दिनों बाद मिलना हो रहा है। इसका कारण ये रहा कि हम आजकल अपनी पढ़ाई पर ध्यान ज्यादा दे रहे हैं। जमाना पढ़ने का ही है। आपको पहले भी बताया था कि हम पढ़ाई करने लगे हैं। अब हमने लिखना भी शुरू कर दिया है।
एक दिन हमने सोचा कि हमारे पिताजी ने तो बहुत कुछ लिख डाला है तो हम भी लिखें। बस हमने भी मौका निकाल कर एक पेन उठा लिया और इधर उधर चलाना शुरू कर दिया। हमारे पिताजी ने इसे देखा तो हमारे लिए एक नई डायरी निकाल दी।
उन्होंने डायरी में हमारा नाम, जन्मतिथि, फोन नम्बर, ब्लाग का यूआरएल भी लिख दिया। हमें तो जल्दी पड़ी थी लिखने की तो हमने जल्दी से डायरी छीन ली।
अब आप देखिए हमने कैसे लिखना शुरू कर दिया। एक पेज फिर दूसरा और फिर तीसरा। इतना लिखने के बाद हमारा डायरी में लिखने से मन भर गया तो हमने अपने हाथ पर लिखना शुरू कर दिया।
बस यहीं हो गई गड़बड़, पिताजी ने हमारे हाथ से पेन छुड़ा लिया और डायरी भी बन्द करके रख दी। हमें साथ में यह भी समझाया कि पेन से कागज पर ही लिखा जाता है, शरीर पर नहीं।
हम भी समझ गये, तभी तो हमें अब डायरी और पेन मिल जाता है लिखने को। अब हम डायरी में ही लिखते हैं, कभी कभी नजर बचा कर अपने हाथ पर लिख ही लेते हैं।
6 टिप्पणियां:
पापा से भी बड़ी कहानी लिख दो..फिर मजा आयेगा, शाबाश!!
लिखते रहो... लेखनी का काम लम्बा है ।
लिखी हो या ड्राइंग बनायी हो .. कई नदियां बह रही हैं !!
apne pitaji au baba ki tarah kagaj rangogi tum bhi.
bahut sundar, apne pita se bhi achchha likhna aur khoob naam kamana.
aashirwad
apne chachu ko bhi is tarah likhna sikha do.
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